शनिवार, 31 अगस्त 2013

अन्तरिक्ष

 अन्तरिक्ष

अन्तरिक्ष ऊर्जा प्राण वायु है , जो जीव में प्राण-शक्ति का संचार करती है । यह एक प्रकार की गुरुत्वाकर्षण शक्ति है। अब प्रश्न उठता है कि यह अन्तरिक्ष है क्या ? अन्तरिक्ष का अर्थ है अनंत आकाश , जिसकी कोई सीमा न हो , जिसके आदि का न पता हो और न अंत का पता हो । यह अनंत शून्य है । हमारे संतों ने प्राचीन काल में अपने अनुभव से बताया कि अन्तरिक्ष में अनेक सूर्य -मंडल हैं । जिस एक सूर्य के नीचे हम खड़े हैं , वह अनेक सूर्यों में से एक है । यह सूर्य-मंडल नौ ग्रहों से घिरा हुवा है । इस सूर्य-मंडल के नौ ग्रह एवं इन ग्रहों के अनेक उपग्रह हैं । इन सबको मिलाकर एक सूर्य-मंडल है । इस सूर्य-मंडल में एक ग्रह से दूसरे ग्रहों की दूरी करोड़ों मील मानी जाती है । हमारे आत्म-द्रष्टा संतों ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से इन ग्रहों की दूरी का ज्ञान प्राप्त किया और उसी के आधार पर इन संतों ने निर्णय किया कि ब्रह्मांड में जितने जीव हैं , वे सभी एक दूसरे से प्रतिक्षण प्रभावित होते रहते हैं । जैसे सूर्य से हम प्रभावित होते हैं वैसे ही सूर्य भी हम से प्रभावित होता है ।

वैज्ञानिक भी मानते हैं हैं कि लगभग कई लाख अथवा असंख्य सूर्य-मंडल एवं नीहारिकाओं के मेल से एक आकाश गंगा बनती है । भौतिक शास्त्र के महान ज्ञाता आइन्स्टीन ने कहा था कि इस अनंत अन्तरिक्ष के सम्बन्ध में कुछ भी बताना मुश्किल है , क्योंकि निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि इन सूर्य-मंडलों अथवा सम्पूर्ण अन्तरिक्ष का नियंत्रण कौन कर रहा है ? उनका मानना है कि निश्चित रूप से कोई अदृश्य शक्ति इन ग्रह , नक्षत्रों अथवा अन्तरिक्ष का नियंत्रण कर रही है , यह विज्ञान का मानना है कि इन सम्पूर्ण सूर्य-मंडलों अथवा अन्तरिक्ष का नियंत्रण परम-शक्ति के द्वारा होता है ।******