सोमवार, 13 जून 2011

गंगा-अवतरण

 ' गंगा दशहरा '


ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को ' गंगा दशहरा ' मनाया जाता है । कहा जाता है कि इसी दिन ' गंगा का अवतरण ' हुवा था । गंगा इसी दिन स्वर्ग से धरती पर आई थी । ऋग्वेद में जल को माता के नाम से अभिहित किया गया है ।  

 एक पौराणिक आख्यान के अनुसार सगर के यज्ञ के घोड़े को यज्ञ में विघ्न डालने के लिए इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध लिया । उन्हें खोजते हुवे सगर के पुत्र जब मुनि के आश्रम में पहुंचे तो मुनि ने शाप से भस्म कर डाला । गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए सगर की कई पीढ़ियाँ तप करती रहीं । भगीरथ अपने तप से गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारने में सफल हुवे । वही तपोस्थली गंगोत्री नामक तीर्थ है ।

शांतनु से गंगा को आठ पुत्र प्राप्त हुवे । सात पुत्र तो गंगा में  
डूबा दिए , किन्तु आठवां पुत्र शांतनु ने डुबाने नहीं दिया और यही पुत्र भीष्म हुवा । जब परशुराम और भीष्म हुवा तो गंगा ने भीष्म की रक्षा की । भीष्म के वध के लिए जब अम्बा तप कर रही थी , तो एक बार वह गंगा में स्नान करने के लिए आई । इस पर गंगा ने उसे नदी होने का शाप दे दिया । गंगा के प्रसिद्ध पर्याय हैं _ भागीरथी , जाह्नवी , मन्दाकिनी , सुरसरि , देवापगा , भीष्मसू , त्रिपथगा , अलकनंदा आदि ।

यह उत्तरभारत की अति पवित्र नदी है । जो हिमालय में गंगोत्री से निकल कर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है । हरिद्वार , प्रयाग और वाराणसी इसी के किनारे बसे हुवे हैं । हिन्दुओं का विश्वास है कि इसमें स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है ।*****  

                                                                                          

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