सोमवार, 28 मार्च 2011

समझौता जब हम गलत और न्याय

समझौता जब हम गलत और न्याय तब दूसरे गलत 




ग्रन्थि से तात्पर्य गाँठ से है अर्थात किसी भी अंग में मांस-चर्बी का एकत्रित हो जाना गाँठ कहलाता है । यह गाँठ सामान्य भी हो सकती है और प्रारम्भ में सामान्य होकर कैंसर का रूप भी ले सकती है । अथवा सामान्य फोड़े तक भी सीमित भी रह सकती है या हो सकता है कि वह साधारण रूप में ही बनी रहे । इतना तो निश्चित है कि गाँठ कोई भी , कहीं भी किसी रूप में शरीर में बन जाये तो वह हानिप्रद ही होती है तथा शारीरिक सौन्दर्य में घातक ही बनती है ।





कहीं यह गाँठ कैंसर के रूप में परिवर्तित हो जाये तो न जाने कितना दुष्प्रभाव डालती है । अत: कैंसर की गाँठ का ज्ञान होते ही व्यक्ति उसे शीघ्रता से आपरेट कराने की सोचता है । चाहे उसमें कितना ही धन खर्च हो जाये , जब तक उपचार नहीं होता तब तक मन को चैन नहीं आती । इसप्रकार हमारे अन्तरंग में भी एक मिथ्या धारणा कि एक ग्रन्थि पड़ चुकी है और इसका उपचार भी परम आवश्यक है । यह भयानक रूप धारण कर सकता है । इस आंतरिक कैंसर का भी निदान अत्यंत आवश्यक है।%%%%%%%%%%% 





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