हर नगर में दो बहिनें रहती हैं ; अपने सुख-दुःख आपस में कहती हैं। एक का नाम शांति है तो दूसरी का नाम अशांति है। शांति का निवास पारिवारिक निकेतन में है तो अशांति का का निवास है कलहकारी भवन में। शांति के परिवार में प्रेम,वात्सल्य और सौहार्द नाम के भाई हैं। अशांति के साथ श्रीमती ईर्ष्या बायीं हैं। दोनों की स्थिति समझ लेने के बाद धर्मात्मा व्यक्ति केवल शांति को चाहता है। सबुह-शाम शांति-शांति पुकारता है। उसकी पुकार सुनकर शांति पहुँच जाती है उसके पास। साथ में आता है उसका चौथा भाई सुख एक प्रकाश और आनन्द के साथ। हे भक्त ! शांति की प्राप्ति सहज नहीं है। उसके लिए आस्था , ज्ञान और आचरण चाहिए। संतों की कृपा और गुरु का आशीर्वाद इस मार्ग को और अधिक सरल बना देता है। शान्तिनिकेतन की नींव में आस्था है , स्तम्भ ज्ञान के बने हैं और गुम्बद पर आचरण का कलश स्थापित है।*************
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