शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

शीशे के महल वाले .......

शीशे के महल वाले दूसरे के यहाँ पत्थर नहीं फेंकते 



 जिसप्रकार घुन महल के खम्बों में लग जाता है तो खम्बों में महल को धारण करने की शक्ति नहीं रहती। अत: इस प्रकार के महल में रहना बुद्धिमत्ता नहीं है। क्योंकि महल के गिर जाने का खतरा बना रहता है। उसी प्रकार अज्ञान और दुराचार के कारण जिसकी बुद्धि नष्ट हो चुकी है। ऐसे राजा में भी राज्य-शासन करने की क्षमता और उसे संवर्धित करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। ऐसे अयोग्य व्यक्ति को राजा नहीं बनना चाहिए। जिस प्रकार पागल हाथी जन-साधारण के लिए महा-भयंकर होता है , उसी प्रकार प्रजाजनों के लिए पथ-भ्रष्ट , कुमार्ग-गामी , व्यसनी राजा भी महा-भयंकर होता है।


सत्य ही कहा है _ आलस्य से विद्या की हानि होती है। पराये हाथ में जाने से धन की हानि होती है। गुरु के अभाव में शिष्य की हानि होती है और विवेकी राजा के अभाव में राज्य की हानि होती है।



हम संसार में जैसा कर्म करते हैं , वैसा ही फल हमें प्राप्त होता है। अगर हम पड़ोसी के घर में मिठाई पहुंचाते है तो हमें भी अगले दिन ही मिठाई प्राप्त होती है। मिठाई चाहे न मिले , पर सद्भावना तो मिलती ही है। यदि हम पड़ोसी के घर पत्थर मारते हैं , तो अगले दिन ही हमें बंदूक की गोली प्राप्त होती है। इसलिए जीवन में हमें कभी किसी को कष्ट नहीं पंहुचाना चाहिए।%%%%%%%%%%





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