रविवार, 14 नवंबर 2010

दिमाग पैराशूट के समान खुला रखिये

परीक्षण के बाद नमन  




दीपावली का पर्व था। राजा ने विचार किया कि राज्य करते-करते मुझे काफी समय व्यतीत हो गया। राज्य के झंझटों से मुझे जरा भी फुर्सत नहीं मिलती कि थोड़ी देर नगर का परिभ्रमण कर सकूं। अपने नगर वासियों को देख सकूं। राजा के मन में जैसे ही नगर-भ्रमण का विचार उत्पन्न हुवा , वैसे ही उसने अपने सैनिकों से कहा _ ' आज मैं नगर-परिक्रमा हेतु निकलूंगा। '


राजा के नगर-परिक्रमा की बात सुनकर सारे नगर की सफाई प्रारम्भ हो गयी। कहीं भी गंदगी को स्थान नहीं दिया गया। राजा नगर -परिक्रमा को निकला सड़क के दोनों ओर सैनिक और प्रजाजन अभिवादन में खड़े थे। राजा की सवारी आगे बढ़ती जा रही थी। और नगर-वासी पुष्प-वर्षा कर उनका स्वागत कर रहे थे। तभी एक कुत्ता आता है और सड़क पर मल करके चला जाता है। सैनिक जैसे ही सड़क पर मल पड़ा देखते हैं तो घबरा जाते हैं और तुरंत ही एक माली से टोकरी लेकर उस मल के ऊपर डाल देते हैं।


फूलों का ढ़ेर लगा हुवा है। राजा के निकलने से पूर्व कुछ सैनिक आगे निकलते हैं और पुष्प के ढ़ेर को देखकर नतमस्तक हो जाते हैं तथा एक फूल उठाकर चढ़ा देते हैं। बिना किसी जानकारी के सभी सैनिक फूल चढ़ाते हैं और नमन करके आगे बढ़ जाते हैं। थोड़ी देर के बाद राजा वहां से निकलता है और जैसे ही फूलों के ढ़ेर देखता है तो बड़ा प्रसन्न होता है। वह तुरंत कहता है _ ' धन्य है भाग्य कि मुझे नगर-परिक्रमा में विख्यात पुष्प-देवता के दर्शन हुवे। मैं कृत्य-कृत्य हो गया। ' और वह एक पुष्प चढ़ा देता है तो पास खड़ा मंत्री हंस पड़ता है।


 राजा मंत्री को हंसता देखकर कहता है _ ' क्यों , मंत्रीजी आप क्यों हंस रहे हैं ? लीजिए आप भी फूल अर्पित करके अपना जीवन धन्य कीजिये। ' मंत्री कहता है _ ' प्रभु, मैं कई वर्षों से इस मार्ग पर गुजरता आ रहा हूँ , पर मुझे इस मार्ग पर आज तक किसी देवता के दर्शन नहीं हुवे। आज वे पुष्प-देवता कहाँ से प्रकट हुवे। यह मुझे समझ में नहीं आ रहा। मैं भीड़ का पुजारी नहीं हूँ। मैं भेड़-चाल नहीं चलता हूँ। मैं पहले देवता का निरीक्षण एवं परीक्षण करता हूँ। बाद में नमन करता हूँ। जरा आप भी आकर देखिये। इस पुष्प देवता में कौन से देवता हैं ? ' राजा ने सैनिकों को आज्ञा दी और तुरंत पुष्पों को हटाया गया , वहां पर देखा कि कोई देवता नहीं था। मात्र कुत्ते का मल था।


अत: हमें अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए। अपनी बुद्धि और विवेक का भी इस्तेमाल करना चाहिए। पहले निरीक्षण एवं परीक्षण करना चाहिए उसके बाद ही नमन करने की प्रक्रिया की जनि चाहिए।uuuuuuuuuuuuu

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