जीतो मौत को सुगन्धित एवं पौष्टिक आहार से
रसना इन्द्रिय जिह्वा को कहते हैं , अर्थात जिसके द्वारा ६ प्रकार के रस का ज्ञान हो , उसे रसना इन्द्रिय कहते हैं। ये रस हैं _ खट्टा , मीठा , नमकीन , कटु , तीखा और कसैला। इस प्रकार जो मिठाई , अम्लीय , नमकीय , कडवे- करेला,नीम आदि , मिर्च-मसाले , आंवला-हरड़ आदि। जहर चाहे जानबूझकर खाओ और चाहे अनजाने में , मरना तो पड़ेगा ही। अभक्ष्य-भक्षण करोगे तो स्वास्थ्य भी खराब होगा और इसी को ही दुर्गति कह सकते हैं।
रसना इन्द्रिय जिह्वा को कहते हैं , अर्थात जिसके द्वारा ६ प्रकार के रस का ज्ञान हो , उसे रसना इन्द्रिय कहते हैं। ये रस हैं _ खट्टा , मीठा , नमकीन , कटु , तीखा और कसैला। इस प्रकार जो मिठाई , अम्लीय , नमकीय , कडवे- करेला,नीम आदि , मिर्च-मसाले , आंवला-हरड़ आदि। जहर चाहे जानबूझकर खाओ और चाहे अनजाने में , मरना तो पड़ेगा ही। अभक्ष्य-भक्षण करोगे तो स्वास्थ्य भी खराब होगा और इसी को ही दुर्गति कह सकते हैं।
सो इस सन्दर्भ में एक प्रमुख कथा है। काल्पिय नगर के राजा का नाम भीम था। वह राजा रसना इन्द्रिय का अत्यंत लोभी था। दुनिया भर की तमाम श्रेष्ठ वस्तु खाने के उपरांत भी उसका मन एवं उसकी जिह्वा तृप्त नहीं होती थी। उसने अपनी रसना इन्द्रिय को तृप्त करने के लिए मांस खाना प्रारम्भ कर दिया। रसोइया प्रति दिन मांस पका कर लाता और राजा खाने के लिए देता।
एकदिन राजा को मांस प्राप्त नहीं हुवा तब उसने अपने रसोइये से कहा, ' कहीं से भी कैसे भी हो मुझे मांस खिलाओ। ' राजा की आज्ञा को रसोइया टाल नहीं सका और मांस की तलाश में निकल पड़ा। पर उसे कहीं भी मांस नहीं मिला। वह नगर के श्मशान में गया और वह एक मरे बालक को उठा लाया। राजा को मांस बड़ा स्वादिष्ट लगा। उसने रसोइये से पूछा _ ' आज तुमने मुझे किस पशु का मांस खिलाया। ' रसोइये ने घबराते हुवे कहा _ ' महाराज ! मुझे कहीं किसी पशु का मांस नहीं मिला , तो मैंने श्मशान से एक मृत बालक को उठा लिया और उसी का मांस आपको खिलाया है। ' राजा ने कहा _ ' ठीक है , तुम आज से मुझे एक बालक का मांस ही खिलाया करो। '
रसोइया राजा की आज्ञा मानकर प्रतिदिन एक थाल में लड्डू बनाकर नगर के विद्यालय के बाहर सभी बालकों को देता और मौका पाकर झट एक बालक को पकड़ लेता और उस बालक को मारकर राजा को मांस खिलाता। इस क्रम के कारण नगर में प्रतिदिन एक बालक की कमी होने लगी। नगर में खलबली मच गयी। यह एक चर्चा एवं चिंता का विषय हो गया कि प्रतिदिन बालक गायब कहाँ हो जाते हैं ? सभी नगरवासी भयभीत हो ' बालक चोर ' व्यक्ति को पकड़ने को उद्यत हुवे।
नगर में चंद दिनों के पश्चात ' बालक चोर ' रसोइये को पकड़ लिया गया और उससे पूरी जानकारी ली गयी। राजा की इस लोलुपता और क्रूरता का जब नगरवासियों को ज्ञान हुवा तो उन्होंने राजा और रसोइये को नगर के बाहर निकाल दिया। दोनों जिह्वा लोलुपी पापी जंगल में भ्रमण करने लगे , राजा की जिह्वा नर -मांस खाने के लिए लपलपाने लगी। तब उस राजा ने उस रसोइये को मारकर अपनी जिह्वा को तृप्त किया और कुछ समय के उपरांत वह मरकर नरक को प्राप्त हुवा।
नगर में चंद दिनों के पश्चात ' बालक चोर ' रसोइये को पकड़ लिया गया और उससे पूरी जानकारी ली गयी। राजा की इस लोलुपता और क्रूरता का जब नगरवासियों को ज्ञान हुवा तो उन्होंने राजा और रसोइये को नगर के बाहर निकाल दिया। दोनों जिह्वा लोलुपी पापी जंगल में भ्रमण करने लगे , राजा की जिह्वा नर -मांस खाने के लिए लपलपाने लगी। तब उस राजा ने उस रसोइये को मारकर अपनी जिह्वा को तृप्त किया और कुछ समय के उपरांत वह मरकर नरक को प्राप्त हुवा।
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