बबूल बोने पर आम के फल कैसे ?
मानस-भावना को मनोभावना कहा जाता है । विचार -वृक्षों की उत्पादन क्षमता का केंद्र मन ही है । सीता का अपहरण करने के लिए स्वर्ण-मृग का रूप धारण करना और कुटिया के सामने से विचरण करने की योजना तत्थ दूर पहुँच जाने पर लक्ष्मण को राम के स्वर में पुकारने की सुनियोजित योजना मन-मस्तिष्क की ही उपज थी । दुर्योधन द्वारा जुवा खेलना , लाख का महल तैयार करवाना आदि योजनायें भी मनोभूमि पर अंकित हई थीं ।
मानस-भावना को मनोभावना कहा जाता है । विचार -वृक्षों की उत्पादन क्षमता का केंद्र मन ही है । सीता का अपहरण करने के लिए स्वर्ण-मृग का रूप धारण करना और कुटिया के सामने से विचरण करने की योजना तत्थ दूर पहुँच जाने पर लक्ष्मण को राम के स्वर में पुकारने की सुनियोजित योजना मन-मस्तिष्क की ही उपज थी । दुर्योधन द्वारा जुवा खेलना , लाख का महल तैयार करवाना आदि योजनायें भी मनोभूमि पर अंकित हई थीं ।
जिन्होंने भी अपने मस्तिष्क में दूषित , निन्दित योजनायें संजोयीं उन्हें पीड़ा का भाव ही प्राप्त हुवा । जिन्होंने भी दूसरों को नीचा दिखने का विचार बनाया , वह अपने विचारों के जाल में इतनी बुरी तरह से उलझा कि जीवन भर सुलझ नहीं पाया । युगों-युगों उपरांत आज भी अपकीर्ति के बादल उनके नाम रूपी को आच्छादित किए हुवे हैं ।&&&&&&&&&&&
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