कलावा _ संकल्प -शक्ति का आधार
जिसके प्रति हमारा मन एकीभूत हो जाये , जिन बीजाक्षरों से हमारा मन जुड़ जाये वह मन्त्र है । मन के जुड़े बिना मन्त्र प्रभावहीन से हो जाते हैं और जिनके साथ हमारे मन का सम्बन्ध जुड़ गया वह मन्त्र लौकिक एवं पारलौकिक बाधाओं का निवारण कर इष्ट फल का प्रदाता बन जाता है । मन्त्रों का ही यह प्रभाव है कि एक पाषाण परिमा भी पूज्य हो जाती है । मन्त्रों के प्रभाव से अनेक विद्याएँ सिद्ध हो जाती हैं । देवी -देवता अनुगामी बन इष्ट फलदायक हो जाते हैं । रिद्धि- सिद्धियाँ उत्पन्न हो जाती हैं । अपवित्र भी पवित्र बन जाते हैं ।
जिसके प्रति हमारा मन एकीभूत हो जाये , जिन बीजाक्षरों से हमारा मन जुड़ जाये वह मन्त्र है । मन के जुड़े बिना मन्त्र प्रभावहीन से हो जाते हैं और जिनके साथ हमारे मन का सम्बन्ध जुड़ गया वह मन्त्र लौकिक एवं पारलौकिक बाधाओं का निवारण कर इष्ट फल का प्रदाता बन जाता है । मन्त्रों का ही यह प्रभाव है कि एक पाषाण परिमा भी पूज्य हो जाती है । मन्त्रों के प्रभाव से अनेक विद्याएँ सिद्ध हो जाती हैं । देवी -देवता अनुगामी बन इष्ट फलदायक हो जाते हैं । रिद्धि- सिद्धियाँ उत्पन्न हो जाती हैं । अपवित्र भी पवित्र बन जाते हैं ।
धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित होने पर जिन्हें संकल्प-सूत्र अर्थात कलावा बंध जाता है , उन्हें मन्त्र-शक्ति की प्राप्ति सहज रूप से ही होने लगती है । मन्त्र से पूर्ण तात्पर्य अभिप्राय से भी समझा जा सकता है । अभिप्राय का अर्थ तात्पर्य , लक्ष्य एवं उद्देश्य -भावना है । निर्झारित निर्झरों के पीछे अथाह जल-स्रोत अंतर्निहित रहता है । इसी प्रकार किसी भी संत के मुख से नि:सृत वचन-गंगा के पीछे अभिप्राय एवं मन्त्र-शक्ति का स्रोत अवश्य ही छिपा रहता है । अन्तरंग के अभिप्राय को वाणी के माध्यम से अथवा चेहरे की भाव-भंगिमा के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है । सामने वाला यदि अभिप्राय को यथार्थ रूप में समझ लेता है तो किसी भी द्वंद्व के लिए कोई भी स्थान रिक्त नहीं होता । इससे सहज रूप से मन को शक्ति प्राप्त होती है और यही मन्त्र-शक्ति का प्रभाव ही होता है ।^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
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