मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

जीवन को नापिए और तौलिये

जीवन को नापिए और तौलिये 





जीवन को आनन्ददायी बनाने के लिए संतुलित होना आवश्यक है । जिस प्रकार किसी वाद्य-यंत्र से सही स्वर निकालने के लिए यह आवश्यक है कि उसके तार संतुलित मात्रा में कसे होने चाहिएं । उसके तार इतने कसे हुवे न हों कि वे बजाने पर टूट जाएँ और न इतने ढ़ीले हों कि कोई स्वर ही निकले । इसी प्रकार आवश्यक है कि व्यक्ति किसी चीज की सीमा न अतिक्रमण करे । हम मध्यम मार्ग अपनाते हुवे जीवन में संतुलन बनाये रख सकते हैं ।

जीवन विभिन्न रंगों का गुलदस्ता है , जिसमें सभी रंगों का समयानुसार समावेश हो तो अच्छा है ।यह हमारे कार्य-क्षेत्र से हटकर कोई भी रूचि का कार्य हो सकता है , जो वास्तव में हमें प्रसन्नता दे । इस प्रकार समय के अनुसार उत्तरदायित्व का निर्वहण करते हुवे परिपूर्ण , संतुलित और आनन्द दायक जीवन का निर्वाह कर सकते हैं ।*******






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