शनिवार, 14 मई 2011

आत्मसाधना

  आत्मसाधना 








साधना से अधिक आत्मसाधना का महत्त्व है । हमारे वैदिक दर्शन में आत्म कल्याण , आत्मसाधना और अध्यात्म पर अधिक बल दिया गया है । हर दर्शन और चिन्तन में साधना के सोपान निश्चित किए गये हैं । इनका अपना संविधान और इसके कुछ प्रयोग दिए  गये हैं । 

अनादि काल से आत्म स्वरूप पर आच्छादित कर्म-कल्मष को हटा कर आत्मा को पूर्ण निर्मल -पवित्र - पावन स्वरूप प्रदान करती है । साधना से अधिक महत्त्वपूर्ण आत्म साधना है। साधना जबकि बाह्य साधनों तक सीमित रहती है , परन्तु आत्म-साधना व्यक्ति के आंतरिक विकास की सूचक है। ***********

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