मंगलवार, 17 मई 2011

समय की निधि

समय की निधि





निभर करता है  कि हम समय का किस सीमा तक  का उपयोग करके हम जीवन को उन्नत बनाते हैं , वहीँ उनका दुरूपयोग हमारे जीवन की अवनति का कारण भी बनता है । अत: समरी उपलब्द्धियां इस पर  प्रकार और किस प्रयोजन के लिए उपयोग करते हैं ।

जब भी जागो तभी सबेरा है । यदि किसी ने अपने जीवन का बड़ा समय व्यर्थ ही गंवा दिया , तो भी शेष समय का सदुपयोग क्या किया जा सकता है । क्योंकि सच्चा व्यापारी वही होता है , जो हानि होने पर भी व्यापर बंद नहीं करता । वह धैर्य और बुद्धिमत्ता से पुन: उखड़े पैर जमा लेता है । अधिक जीवन बीत गया फिर भी जो शेष जीवन है तो उसमें भी बहुत कुछ काम किया जा सकता है ।

काम करने और अच्छा काम लरने की कोई उम्र नहीं होती , यह बात अवश्य भी मस्तिष्क में ध्यान अवश्य ही करनी चाहिए । समय का सदुपयोग ही उसकी वास्तविक निधि हो सकती है । समय मुट्ठी में बंद रेट की तरह है , जो क्षण-प्रतिक्षण रिसता रहता है । क्यों न हम इस प्रकृति-प्रदत्त इस समय-निधि का सदुपयोग करें और इसी से आत्म- कल्याण एवं जन-कल्याण भी सम्भव हो सकता है ।*****

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