शुक्रवार, 13 मई 2011

उपवास


उपवास 



आत्मस्वरूप के निकट पहुंचे बिना उपवास का आनन्द नहीं आ सकता । अनंत गुणमय सुमनों की सुगन्धि हमें शुद्ध चैतन्यमय सिद्ध स्वरूप का अनुभव कराती है । हम सब कुछ छोड़कर भी निज गुण बगिया के सुरभित सुमनों की सुगंध में सरोबर नहीं हुवे तो उपवास का लक्ष्य जो समाधि की साधना है तो उसमें सफल नहीं हो सकते।******







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