सोमवार, 23 मई 2011

नमन

नमन


सामान्यतया नमन शब्द का अर्थ नमस्कार करने , झुक जाने , नम जाने , नम्रीभूत हो जाने , किसी का चरण-स्पर्श करने आदि के अर्थ में प्रयोग किया जाता है । 

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ह्रदय की मिट्टी का द्रवीभूत हो जाना ही नमन कहलाता है । साथ ही नमन का अर्थ यह भी हो सकता है कि नमन अर्थात जहाँ मन ही न हो। अत: स्व-अस्तित्व को भूल कर अपने आराध्य के चरणों में में समर्पित हो जाये । हमारा कुछ भी शेष न रहे , हम अपने आराध्य के चरणों में विलीन हो जाएँ । यही नमन का मूल भाव हो सकता है ।

अस्तु , आज तक हमने नमन तो किया , परन्तु नमन का वास्तविक रूप हमारे अन्तस्तल में उद्भूत ही नहीं हुवा । शरीर झुका और मस्तक झुका पर मन नहीं झुक सका । यदि एक बार भी हम ऐसा नमन कर लें तो इस संसार के सारे कष्ट ही दूर हो जायेंगे । अपने शास्त्रों एवं गुरुजनों से सच्चा प्रेम हो जायेगा और प्रेम हो जाने पर समर्पण हो जायेगा । परन्तु यह तभी होगा कि जब हम नमन की मात्र औपचारिकता ही पूर्ण न करें किन्तु यथार्थता का अवलम्बन लें । एक बार ऐसा नमन हो कि हमारे अन्तरंग से अवगुणों का गमन और कल्मषों का शमन हो जाये।********

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