गुरुवार, 19 मई 2011

हरदम


हरदम 




लोकव्यवहार अथवा शब्दशास्त्र में उल्लिखित ' हरदम ' शब्द कितनी गहराई को अपने आप में सम्मिलित किए हुवे है । सामान्य रूप में इसका अर्थ प्रत्येक समय या सदैव से ही लिया जाता है , किन्तु इसका विश्लेषण कर हम देखें तो इसमें अनेक अर्थ प्रतिभासित होते हैं । ' हर ' का अर्थ है _ प्रत्येक , हरण करना या जिस संख्या में अंश से भाग किया जाये । इसीप्रकार ' दम ' का अर्थ है _ दमन करना , साहस तथा पल , क्षण आदि ।


विभिन्न अर्थों के प्रतिपादन में समर्थ यह शब्द हमें इंगित करता है कि हमारे द्वारा गृहीत प्रत्येक साँस का प्रतिपल हरण हो रहा है । जो साँस एक बार बाहर निकल गयी वह पुन: आने वाली नहीं है । इस प्रत्येक साँस में प्रतिपल हमारी आयु का ह्रास हो रहा है एवं क्षरण हो रहा है । अत: अब साहस पूर्वक प्रत्येक इन्द्रिय-विषय का दमन करने के लिए और प्रत्येक कल्मष का शमन करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए ।

न जाने किस क्षण में आयु का ताँता टूट जायेगा और यह शरीर जिसके राग में हम बेचैन हो रहे हैं , साथ ही जिसके पीछे अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ ही नष्ट कर रहे हैं । हम इन इन्द्रियों के गुलाम बने हुवे हैं और प्रतिपल इन इन्द्रिय-विषय सामग्री के संग्रह , संरक्षण और संवर्द्धन में तत्पर हैं । यह सबकुछ हमारे साथ जाने वाला नहीं है । ये विष के सदृश विषय और विषय की दुर्गन्धि में फंसाने वाली ये इन्द्रियां न जाने किस गर्त तक पहुंचा देंगीं । न जाने पतन के किस-किस द्वार को खट-खटाना होगा । अस्तु , इस ' हरदम ' शब्द के इशारे को एवं इसके अर्थ को समझकर सदैव मृत्यु का स्वागत करने के लिए तैयार रहना चाहिए । अपना एक पल भी व्यर्थ नष्ट न कर सदैव आत्म-कल्याण के लिए तत्पर रहना चाहिए ।******









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