शुक्रवार, 20 मई 2011

' बी ' पोजिटिव

' बी ' पोजिटिव 







जिन्दगी के प्रत्येक पल में और प्रत्येक पग पर विवेक रूपी मित्र की आवश्यकता है । इसके सद्भाव में जीवन का प्रकाश है और असद्भाव में मरण की कालिमा अंतर्निहित है । जिस जीवन-वृक्ष पर विवेक रूपी सुमनों की सुरभि संयुक्त है और विवेक रूपी स्वादिष्ट फल फलीभूत हो रहे हैं । उस वृक्ष पर ही सौभाग्य रूपी जीवन मुस्कुराता है और वैराग्य खग उसी पर ही बसेरा करते हैं ।



वास्तव में विवेक है तो जीवन जीने का आनन्द है अन्यथा जीवन एक सजा मात्र ही रह जाता है । विवेक रूपी चिंतामणी की पहचान होनी चाहिए । इसकी प्राप्ति होने पर मन-वांछित फल की प्राप्ति सहज ही रूप में हो जाती है। विवेक के अभाव में हम विषय-कल्मषों के दास बने हुवे हैं । अविवेक के अंधकार ने हमें धरातल की उस गहराई तक अनेक बार भेज दिया , जहाँ से निकलना संभव नहीं हो पा रहा है । सत्य का स्वरूप देखने को हम तरसते रहते हैं । अनंत वैभव का स्वामी होते हुवे भी दर -दर पर भटकते रहते हैं । अत: विवेक का अवलम्ब शीघ्र से शीघ्र लेकर हमें आत्म-कल्याण के साथ-साथ जन-कल्याण भी करना चाहिए ।*****

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