अरे भई , यह शरीर भी एक जेल है ओर इसमें यह आत्मा युग-युगों से कैद है । एनी जेल में पहुंचा दिया जाता है । वहां कुछ समय रहकर वह अपने कुकर्मों की सजा भोगता एवं मार खाता है । वह पुलिस वालों के डंडे ही क्या अपितु हंटरों के प्रहार सहन करता है और रोता -पीटता सर धुनते हुवे अपना समय पूर्ण करता है ।
रविवार, 22 मई 2011
जीवन को आत्म-कल्याण
अरे भई , यह शरीर भी एक जेल है ओर इसमें यह आत्मा युग-युगों से कैद है । एनी जेल में पहुंचा दिया जाता है । वहां कुछ समय रहकर वह अपने कुकर्मों की सजा भोगता एवं मार खाता है । वह पुलिस वालों के डंडे ही क्या अपितु हंटरों के प्रहार सहन करता है और रोता -पीटता सर धुनते हुवे अपना समय पूर्ण करता है ।
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