बुधवार, 18 मई 2011

देवर्षि नारद


देवर्षि नारद 



पौराणिक ग्रन्थों में नारदजी को भगवान के मन का अवतार कहा गया है । सम्पूर्ण ब्रह्मांड के नियंत्रक प्रभु जो करना चाहते हैं , नारदजी के द्वारा वैसी ही चेष्टा होती है।  भगवान का मन होने के कारण उनकी प्रत्येक लीला में नारदजी का उपस्थित होना स्वाभाविक ही है ।

शास्त्रों में ' देवर्षि ' की पात्रता के लिए कुछ विशेष गुण एवं योग्यता होना आवश्यक बताया गया है । वायु पुराण के अनुसार जिन ऋषियों का देवलोक में निवास है , वे देवर्षि हैं । देवर्षि त्रिकालज्ञ होते हैं , उन्हें भूत , भविष्य और वर्तमान की जानकारी होती है । वे सत्य बोलते हैं । उन्हें समस्त विद्याओं का सम्यक ज्ञान होता है । अपनी योग-शक्ति से वे सभी लोकों में विचरण कर सकते हैं । ये गुण और विशेषताएं हमें नारदजी में दिखाई पडती हैं । ******

महाभारत

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