शुक्रवार, 6 मई 2011

सुयोग से ही योग्यता

सुयोग से ही योग्यता                                                                                                  



किसी भी मंगल कार्य के शुभारम्भ हेतु मानव शुभ तिथि , शुभ नक्षत्र , शुभ वार , शुभ दिन आदि का इंतजार करता है ।  इनके साथ-साथ उसे जीवन में अनेक सुयोग प्राप्त होते हैं ।  परन्तु सुयोग पाकर भी सुयोग्यता की उपलब्द्धि हो , यह आवश्यक नहीं है । सुयोग तो जीव अनेक बार मिलते हैं , पर वह सुयोग्य नहीं बन पाया ।



 सुयोग अवसर है तथा सुयोग्यता इस अवसर का लाभ है । सुयोग बाह्य उपलब्द्धि है तथा सुयोग्यता आंतरिक । प्रारम्भिक भूमिका में सुयोग्य बनने के लिए सुयोग आवश्यक है । परन्तु सुयोग सुयोग्यता नहीं है । अस्तु , इस उत्तम सुयोग को प्राप्त कर सुयोग्य बनने का प्रयास करना चाहिए ; अन्यथा ये सुयोग पाकर भी हम अयोग्य बनकर इधर-उधर भटकते रहते हैं । अत: सुयोग से सुयोग्य बनना चाहिए ।*******

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